नक़ल की अक़ल या अक़ल की नक़ल 

देखो जी, इसमें बहस की कोई गुंजाइश तो है नहीं कि आउटसोर्सिंग के किंग तो हम इंडियंस ही हैं!पहले हमारे टीचरों ने अपनी टीचिंग जॉब दूसरे टीचर्स को आउटसोर्स की, ऑफ़ कोर्स थोड़े से कमीशन के बदले! फ़िर स्टूडेंट्स ने अपने गुरुओं के पद चिन्हों पे चलते हुए अपने असाइनमेंट्स/प्रोजेक्ट्स आउटसोर्स किये कुछ स्पेशलिस्ट्स को। और फिर उनके माँ-बाप ने बच्चों के एग्जाम में हेल्प आउटसोर्स की कुछ भाई लोगों को.…आख़िर बेरोज़गारों की रोज़ी रोटी भी तो चलनी चाहिए ना! अब भइया जी, नया ज़माना है तो ऐसा कैसे हो सकता है कि गुरु गुड रह जाए और चेले शक्कर हो जाएँ .... तो अब टीचर्स ने भी अपनी बोर्ड एग्जाम ड्यूटी यानी कॉपी चैकिंग की ड्यूटी भी आउटसोर्स कर दी है.... क्या हुआ जो बारहवीं के एग्जाम पेपर्स चेक करने वाले स्कूल के चपरासी और क्लर्क हैं.…या फ़िर इंग्लिश की कॉपी संस्कृत वाले और हिंदी वाले टीचर मैथ्स की कॉपी चेक कर रहे हैं, टीचर तो भगवन का रूप होते हैं, बच्चों के साथ नाइंसाफी थोड़े ना करेंगें! 

#IndianEducationSystem

Comments

Popular Posts