क्या हो तुम
बहुत दिनों के बाद एक छोटी सी हिंदी कविता लिखी गई है, पढ़िए और बताइये कैसी बन पड़ी है।
क्या हो तुम?
रात का एक बेपरवाह लम्हा
या दिन की बेमुरव्वत पुकार
पहली बारिश की सोंधी ख़ुशबू
या रात रानी की महकती कली
हाथों में रची सुर्ख़ मेहँदी
या आँगन के चौरे की पावन तुलसी
भोर की अज़ान
या गोधूलि बेला की आरती
चर्च के विशाल घंटे की ख़नक
या गुरूद्वारे से उमड़ती शबद कीर्तन
क्या हो तुम, नहीं जानना मुझे
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