क्या बजट 2021-22 वाक़ई सभी के लिए हलवा बजट है?




बेशक़ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने #हलवासेरेमनी के द्वारा जनता को एक मीठे #बजट की आशा दिलवाई थी पर उनके बजट भाषण में मुश्किल से सादी रोटी की ही उम्मीद दिखती है। 

कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थ व्यवस्था पूरी तरह से अस्त - व्यस्त हो गयी थी, बड़े-छोटे सभी व्यापार चौपट हो गए, लोगों की नौकरियां और रोज़गार चले गए थे, लाखों की संख्या में प्रवासी कामगार और उनके परिवार अपने गाँवों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर हो गए थे। सरकार ने ज़रूर डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर और मुफ़्त राशन योजना के द्वारा कामगारों और किसानों को थोड़ी मदद पहुंचाने की कोशिश की थी लेकिन वो काफ़ी नहीं थी। इसलिए सभी को आशा थी कि वित्त मंत्री जी बजट में हर वर्ग का ध्यान रखेंगी और सभी के दुखते घावों पर मरहम लगाने की कोशिश करेंगी। 


क्या वो ऐसा करने में सफल हुई हैं? अर्थशास्त्री और मीडिया इस बजट को चाहे जैसे भी जस्टिफाई करें पर ज्यादातर जनता निराश और नाराज़ ही दिख रही है।


खैर, किन चीज़ों पर टैक्स बढ़ा है, किसके दाम कम हुए हैं, किस वर्ग को ज्यादा फ़ायदा मिलेगा, क्या पुरानी नौकरियां वापस मिलेंगी, क्या रोज़गार के नए साधन बढ़ेंगे और किसकी थाली में हलवा-पूड़ी परोसा जायेगा, महिलाओं - बच्चों - गरीबों के लिए बजट में क्या है, आइये कुछ ख़ास मुद्दों को संक्षेप में देखते हैं। 


स्वास्थ्य सुविधाएँ 


जैसे कि मांग की जा रही थी और उम्मीद भी थी, स्वास्थ्य कल्याण सेवाओं और सुविधाओं में सुधार और बढ़ोत्तरी के लिए परिव्यय को 94,000 करोड़ से बढ़ा कर 2,38,000 करोड़ कर दिया गया है। 


आत्मनिर्भर स्वास्थ्य मिशन के लिए करीब 65,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है जो अगले 6 वर्षों में ख़र्च किये जायेंगे । 


हेल्थ एमरजेंसी अस्पताल, क्रिटिकल केयर अस्पताल और हर ज़िले में इंटीग्रेटेड हेल्थ लैब आदि की घोषणा की गयी है । 


#कोविड19 वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा वित्त मंत्री ने देश भर में न्यूमोकोकल वैक्सीन (जो निमोनिया, सेप्टिसीमिया और मेनिन्जाइटिस की रोकथाम के लिए लगाई जाती है) उपलब्ध कराने की घोषणा भी की है, इस से 50000 बच्चों की स्वास्थ्य रक्षा हो सकेगी। 


शहरी जल जीवन मिशन के अंतर्गत 2.86 करोड़ घरों में नल के कनेक्शन दिए जायेंगे जिस पर पांच साल में  2.87 लाख रुपये खर्च होंगे।  


कृषि सेक्टर के लिए घोषणाएं 

कृषि क्रेडिट के लिए 16.5 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 

कृषि उत्पाद की निर्यात लिस्ट में 22 और शामिल किये जायेंगे।

ई-एनएएम के लिए 1 हजार नई मंडियां चुनी जाएँगी।

प्रधान मंत्री किसान सम्मान योजना के द्वारा सरकार किसानों के खाते में 6 हज़ार रुपए सालाना (तीन किश्तों में) दे रही थी लेकिन आज के बजट में इस योजना के लिए फंड एलोकेशन क़रीब 13% घटा दिया है। आखिर क्यों? अब क्या किसानों की ज़रूरतें ख़त्म हो चुकी हैं?

शिक्षा क्षेत्र के लिए घोषणाएं 

देश भर में 15000 मॉडल स्कूल, जनजातीय इलाकों में 750 एकलव्य स्कूल, लेह में केंद्रीय विश्वविद्यालय  स्थापना की जाएगी। इसके अलावा 50000 करोड़ रुपये के साथ नेशनल रिसर्च फॉउंडेशन की भी स्थापना की जा रही है। परन्तु शिक्षा के ऊपर बजट में कटौती कर दी गयी है, जबकि इसे कई गुना बढ़ाने की ज़रूरत है ।


अफोर्डेबल घरों को खरीदने के लिए, लिए गए ऋण पर छूट एक साल के लिए बढ़ा दी गयी है। 


प्लेटफॉर्म और गिग कारीगरों के लिए पोर्टल बनाया जायेगा। कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के लिए स्वास्थ्य, मकान, फ़ूड आदि के लिए योजना शुरू  जाएगी। 


इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा व्यय पर जोर 


चार राज्यों में हाईवे प्रोजेक्ट्स की घोषणा की गयी है और 27 शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसके अलावा मेट्रो लाइट और मेट्रो निओ की घोषणा भी की गयी है जिनसे टियर 1 और टियर 2 शहरों में यातायात की सुविधाओं में इज़ाफ़ा होगा। शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने लिए 18, 000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री का कहना है कि इन प्रोजेक्ट्स के आने से रोज़गार के नए साधन बनेंगे और अर्थ व्यवस्था में भी तेज़ी आएगी। 


वन नेशन वन कार्ड के ज़रिये प्रवासी कामगारों को देश के किसी भी कोने में सस्ता राशन पाने की सुविधा दी गयी है जो अच्छी योजना है ।  


महिलाओं के लिए बजट में क्या है


उज्ज्वला योजना के तहत अब तक 8 करोड़ महिलाओं को घरेलू गैस की सुविधा प्रदान की जा चुकी है। अब उज्ज्वला योजना का लाभ 1 करोड़ और महिलाओं को देने का निर्णय किया गया है। रेखा रानी, जो कि उत्तर प्रदेश से दिल्ली आई प्रवासी महिला हैं और घरेलू सहायिका के तौर पर काम करती हैं, चाहती थीं कि वन नेशन वन कार्ड की तरह उज्ज्वला योजना का लाभ उन्हें यहाँ दिल्ली में ही मिल जाता ताकि उन्हें गैस सिलिंडर बाज़ार से मंहगे दाम पर ना खरीदना पड़ता पर ऐसा हुआ नहीं


चाय बागानों में काम करने वाली महिला कामगारों के लिए 1000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है जोकि सिर्फ 2 राज्यों की महिला कामगारों को फायदा पंहुचायेगा और राजनैतिक विशेषज्ञों अनुसार वहां होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र किया गया है ।


इसके अलावा जरूरी सुरक्षा प्रावधानों के साथ महिलाएं अब हर क्षेत्र और हर शिफ़्ट में काम कर सकेंगी। एम्प्लायर को उन्हें समुचित मैटरनिटी बेनिफिट और यातायात की सुविधा देनी होगी। 


नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी कमीशन बनाया जायेगा।


क्या इतने प्रावधान काफ़ी हैं ?


इन छोटे-छोटे उपायों से महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक स्थिति में सुधार होने की उम्मीद नहीं है। ये एक तथ्य है कि कोरोना महामारी की वजह से समस्त विश्व में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की नौकरियां ज्यादा गई हैं। 2018 -19 में भारत में वर्कफोर्स में महिलायें सिर्फ 18.6% थीं और कोरोना के कारण शिक्षा, मनोरंजन, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म, और घरेलू सहायिका का काम करने वाली महिलाओं का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।ग्रामीण क्षेत्र में भी मनरेगा से मिलने वाले रोज़गार गाँव लौटने वाले पुरुष कामगारों के हिस्से चले गए। हालाँकि लॉक डाउन खुलने के बाद बहुत सरे पुरुष कामगारों को वापस काम मिल गया है, महिलाएं अभी भी काम मिलने का इंतज़ार कर रही हैं।

अशोका यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत अर्थशास्त्री अश्विनी देशपांडे के अनुसार महिलाओं की स्किल ट्रेनिंग में विविधता होनी चाहिए, शहरी क्षेत्रों में समुचित चाइल्डकेअर सुविधा, असंगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के लिए साफ़ टॉयलेट और पानी जैसी बेसिक सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए, तभी महिलायें सुरक्षित और समुचित तरीके से वर्कफोर्स में सहभागी बनकर अर्थ व्यवस्था में अपना योगदान दे पाएंगी। लेकिन इन महिलाओं के लिए बजट में रोज़गार गारंटी, क्रेच, टॉयलेट जैसे कोई प्रावधान नहीं किये गए हैं।


मध्यम वर्ग को भी आशा थी कि वित्त मंत्री आयकर की दरों में कुछ छूट देंगी पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी क्योंकि निर्मला सीतारमण ने बजट में ऐसी कोई घोषणा नहीं की। सिर्फ़ 75 वर्ष से अधिक की आयु वाले बुज़ुर्गों को टैक्स रिटर्न फाइल करने से छूट दे दी गयी है। 

इंडिपेंडेंट जिओपोलिटिकल एनालिस्ट सोनम महाजन भी कहती हैं कोई भी सरकार आ जाये, मिडिल क्लास लोगों के लिए #अच्छेदिन कभी नहीं आएंगे।

https://twitter.com/AsYouNotWish/status/1356206149800873984?s=20


The Wire के फाउंडिंग एडिटर एम् के वेणु कहते हैं https://twitter.com/mkvenu1/status/1356149621957947393?s=20


सरकार ने विभिन्न वस्तुओं जैसे सोना, चाँदी, पेट्रोल, डीज़ल, खाद्यान्न जैसे मटर, मसूर, काबुली चना आदि पर 1.5% से लेकर 40% और एल्कोहॉलिक बेवरेजेज़ पर 100% तक कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास सेस लगा दिया है।

पेट्रोल - डीज़ल के बढ़ते दामों से जनता पहले ही परेशान थी पर अच्छी बात यह है कि फ़िलहाल इन पर एक्साइज़ ड्यूटी कम हो जाने की वजह से दाम में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। कुछ राहत की बात यह भी है कि कस्टम ड्यूटी कम होने की वजह से सोना - चांदी के दाम भी कुछ कम हो सकते हैं । 


इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा दिए जाने की वजह से फ्रिज, एयर कंडीशनर, मोबाइल फ़ोन और चार्जर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ऑटो पार्ट्स, चमड़े की वस्तुएं, LED लाइट, सोलर लैंप और इन्वर्टर, मंहगे हो सकते हैं। 


क्या अर्थ व्यवस्था में तेज़ी आएगी? आखिर कैसे?


कोविड 19 की वजह से सरकार ने पहले ही सरकारी कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते (डियरनेस अलाउंस) पर रोक लगा रखी है जिसकी वजह से उनकी ना सिर्फ़ मासिक आय बल्कि पेंशन और अन्य रिटायरमेंट बेनिफिट्स भी स्थायी असर पड़ रहा है।बहुत से कर्मचारियों को पेंशन भी नहीं मिलती और बैंक डिपॉजिट्स पर इंटरेस्ट रेट्स भी बहुत कम कर दिए गए हैं जिसकी वजह से सीनियर सिटिज़न्स को काफी आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

अब सोचने वाली बात यह है कि सरकार और अर्थशास्त्री चाहते हैं कि जनता ज्यादा खर्च करे ताकि बाज़ार में मांग बढ़े, इंडस्ट्री को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिले पर जब लोगों के हाथ में पैसा ही ना होगा तो वो अपनी दैनिक ज़रूरतें पूरी करेंगे या ग़ैर-ज़रूरी वस्तुओं पर खर्च करेंगे। ये एक बेहद मुश्किल चक्र है जिसको तोड़ने में सरकार एक बार फिर नाकामयाब रही है। तो फ़िर आख़िर अर्थ व्यवस्था में तेज़ी आएगी कैसे?


अनुजा, जो एक अंतर्राष्ट्रीय कंसल्टिंग कंपनी में फिनांशियल एनालिस्ट के तौर पर काम करती हैं वो भी मानती हैं कि पिछले कुछ वर्षों की तरह इस बार भी बजट ने उन्हें निराश ही किया है।


सरकार के मंत्री और उनके समर्थक भले ही बजट की तारीफों के पुल बांधते दिख रहे हैं पर सामान्य नागरिक, चाहे वो महिलायें हों, बंधी हुई तनख्वाह लेने वाले कर्मचारी या गरीब कामगार जनता, असंतुष्ट और नाख़ुश ही हैं। 


https://twitter.com/JyotirmayBJP/status/1356189264300544000?s=20



आपको क्या लगता है, क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट वाक़ई सौ साल का अभूतपूर्व बजट है? या आप भी राहत की सांस भर रहे हैं कि सरकार ने और कोई नया टैक्स नहीं लगा दिया?


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