SAWAAL
नए सवाल
क्यों करते हो इतने सवाल?
आड़े तिरछे, उलटे-सीधे, लम्बे-छोटे सवाल.
क्यों जान कर भी बन रहे हो अनजान,
क्या दीखते नहीं खिलते उजियारे के निशान?
विदेशी व्यापार हो या देशी बाजार,
मुद्रा बैंक हो या स्टार्ट अप इंडिया का प्रचार,
नज़रें उठा कर देखो तो अपने आस पास,
चँहु ओर हो रहा है सर्वोन्मुखी विकास,
नयी ऊर्जा से खनक रहा है स्वच्छ भारत
बहु शीघ्र फैलेंगें चमकीले रंग चटक,
गरीबी-अशिक्षा का कलंक हो या
कन्या भ्रूण हत्या की परंपरा विकट,
सड़कों पे बदबूदार कचरे के ढेर हों
या दफ्तर में धूल फांकती फाइलों के,
भ्रष्टाचार हो या आतंकवाद विकराल,
सरपट बदल रही है देश की चाल.
फिर क्यों हो रहा है देश में हर दिन
धर्म-अधर्म, सहिष्णुता-असहिष्णुता का नया बवाल?
स्वतंत्रता के सात दशकों बाद भी
क्यों था देश का हाल ऐसा बदहाल फटेहाल,
हैरत है क्यों नहीं पूछा किसी ने
आज तक किसी सरकार से कोई सवाल?
क्यों करते हो इतने सवाल?
आड़े तिरछे, उलटे-सीधे, लम्बे-छोटे सवाल.
क्यों जान कर भी बन रहे हो अनजान,
क्या दीखते नहीं खिलते उजियारे के निशान?
विदेशी व्यापार हो या देशी बाजार,
मुद्रा बैंक हो या स्टार्ट अप इंडिया का प्रचार,
नज़रें उठा कर देखो तो अपने आस पास,
चँहु ओर हो रहा है सर्वोन्मुखी विकास,
नयी ऊर्जा से खनक रहा है स्वच्छ भारत
बहु शीघ्र फैलेंगें चमकीले रंग चटक,
गरीबी-अशिक्षा का कलंक हो या
कन्या भ्रूण हत्या की परंपरा विकट,
सड़कों पे बदबूदार कचरे के ढेर हों
या दफ्तर में धूल फांकती फाइलों के,
भ्रष्टाचार हो या आतंकवाद विकराल,
सरपट बदल रही है देश की चाल.
फिर क्यों हो रहा है देश में हर दिन
धर्म-अधर्म, सहिष्णुता-असहिष्णुता का नया बवाल?
स्वतंत्रता के सात दशकों बाद भी
क्यों था देश का हाल ऐसा बदहाल फटेहाल,
हैरत है क्यों नहीं पूछा किसी ने
आज तक किसी सरकार से कोई सवाल?
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