विकास तो होना ही चाहिए!

विकास तो होना ही चाहिए!

क्योकि बढ़ रही है पॉपुलेशन,
पर वो कहते हैं विकास हो कहाँ रहा है?
तो इसीलिए हर ओर हड़ताल, हर जगह अनशन,
हर गली, हर डगर, हर शहर,
बढ़ती जा रही है भूख,
बढ़ती जा रही है विकास की प्यास,
अरे जनाब, हो तो रहा है विकास,
हर गली, हर डगर, हर शहर,

पर ये कैसा है विकास?

नदियों, झीलो, तालाबों को पाट कर बना दी ज़मीन,
और ज़मीन की जगह दोमंज़िले तक चढ़ आया पानी,
जंगल, हरियाली की जगह कुकुरमुत्ते से उग आये हैं
गगनचुम्बी इमारतें, फैक्ट्रियां, शॉपिंग मॉल,
धूल-धुंए से जनता-जानवर हुए बेहाल,
कही बेहिसाब गिरती तूफानी बारिश,
तो कहीं पड़ता सूखा और अकाल,
फिक्र की बात ये की इस परेशानी में भी कुछ हो गए मालामाल!

अरे तो क्या हुआ भाई साहब, किसी का भी हो, हो तो रहा है विकास!

Comments

Popular Posts