डर
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डर
घर से निकलते हुए वो डरती है,
घर से निकलते हुए वो भी डरता है,
कहीं बस में, मेट्रो में कोई लड़का इधर उधर छू ना दे,
और वो सोचता है कही मेरा हाथ किसी महिला से छू ना जाये,
ऑफिस में किसी सहकर्मी के सरकते दुपट्टे पे नज़र ना अटक जाये,
वो डरती है कहीं मीटिंग में पल्लू कंधे से ढलक ना जाये,
कहीं उसकी मुस्कराहट को आमन्त्रण ना समझ लिया जाये,
वो हर पल सावधान है कि दोस्ताना मदद एक अश्लील कोशिश ना कहलाये,
वो देर होने पर भी बॉस से लिफ्ट नहीं लेती,
वो दोस्त होते हुए भी लिफ्ट ऑफर नहीं करता,
वो मुसीबत में भी किसी से मदद नहीं मांगती,
वो किसी लड़की को देर रात बस स्टॉप पे अकेला देख भी मदद नहीं करता,
वो एक शरीफ़ घर की लड़की है,
वो भी एक शरीफ घर का लड़का है,
वो डरती है उसके किसी काम से परिवार की इज़्ज़त ना चली जाये,
वो डरता है उसके किसी काम से वो जेल ना चला जाये!
आप भी इस विषय पर अपने विचारो से मुझे और अन्य सुधी पाठकों को अवगत करा सकते हैं कमेंट्स बॉक्स मे.
डर
घर से निकलते हुए वो डरती है,
घर से निकलते हुए वो भी डरता है,
कहीं बस में, मेट्रो में कोई लड़का इधर उधर छू ना दे,
और वो सोचता है कही मेरा हाथ किसी महिला से छू ना जाये,
ऑफिस में किसी सहकर्मी के सरकते दुपट्टे पे नज़र ना अटक जाये,
वो डरती है कहीं मीटिंग में पल्लू कंधे से ढलक ना जाये,
कहीं उसकी मुस्कराहट को आमन्त्रण ना समझ लिया जाये,
वो हर पल सावधान है कि दोस्ताना मदद एक अश्लील कोशिश ना कहलाये,
वो देर होने पर भी बॉस से लिफ्ट नहीं लेती,
वो दोस्त होते हुए भी लिफ्ट ऑफर नहीं करता,
वो मुसीबत में भी किसी से मदद नहीं मांगती,
वो किसी लड़की को देर रात बस स्टॉप पे अकेला देख भी मदद नहीं करता,
वो एक शरीफ़ घर की लड़की है,
वो भी एक शरीफ घर का लड़का है,
वो डरती है उसके किसी काम से परिवार की इज़्ज़त ना चली जाये,
वो डरता है उसके किसी काम से वो जेल ना चला जाये!
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