बेटियाँ 

  
कुछ शक्कर सी मीठी,
कुछ नींबू सी खट्टी,
कभी नीम सी कड़वी,
तो कभी मिर्ची सी तीख़ी, 
अभी फूलों सी इठलाती,
और अभी शेरनी सी दहाड़ती,
एक पल बच्ची सी मुस्काती,
दूसरे ही पल दादी सी डाँटती,
कभी भाई से लड़ती,
कभी पापा से लड़ियाती,
अम्मा के भजन पे कान बंद करती,
मम्मा के संग रॉक एंड रौल करती,
नानू को कंप्यूटर सिखाती,
दद्दू को चैस में चेैकमेट करती,
गली क्रिकेट में छक्के लगाती,
कॉलेज तक कार भगाती,
गुंडों को सबक सिखाती,
नन्हें पंछी के पंख सहलाती,
एक ही ज़िंदगी में कितने रंग दिखा जाती,
पर फिर भी हर जगह पानी में शहद सी घुल जातीं,
बेटियाँ !

Comments

Popular Posts